राहुल गांधी के दो राज्यों में संगठनात्मक चुनाव कराने की पहल के बाद अब सवाल है कि क्या अक्सर फर्जी सदस्यता को लेकर विवाद में रही कांग्रेस इस कदम का अनुकरण करेगी।
पार्टी की दो इकाइयों, एनएसयूआई और युवा कांग्रेस में संगठनात्मक चुनाव के लिए पार्टी महासचिव राहुल गांधी की पहल के बाद पार्टी खेमे में अब यह सवाल उठ खड़ा हुआ है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री राम निवास मिर्धा का कहना है कि राहुल का कदम हाल के वर्षो में पार्टी में सर्वश्रेष्ठ मिसाल है। युवा कांग्रेस और एनएसयूआई के प्रभारी राहुल गांधी ने पंजाब और उत्तराखंड राज्यों में क्रमश: इन दोनों इकाईयों के औपचारिक चुनाव कराने के आदेश दिए हैं। उनके इतिहास में यह इस तरह का पहला अनुभव है।
मिर्धा का सुझाव है कि गांधी के कदम का अनुकरण कांग्रेस में किए जाने की जरूरत है जो अब तक सोनिया गांधी के प्रयास के बावजूद समुचित चुनाव कराने में विफल रही है।
फर्जी सदस्यता की समस्या से कांग्रेस अक्सर रूबरू रही है और इंदिरा गांधी के जमाने में जब उत्तर प्रदेश में पार्टी चुनावों के प्रभारी सीताराम केसरी थे तब यह उक्ति लोकप्रिय थी, न खाता न बही जो कहे केसरी, वो ही सही।
मिर्धा संगठनात्मक चुनाव को समुचित ढंग से सम्पन्न कराने के प्रबल समर्थक हैं। वह कुछ समय तक पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति के अध्यक्ष भी रहे जिसे संगठनात्मक चुनाव कराने का जिम्मा सौंपा गया था। एक दशक पहले जब सोनिया ने पार्टी की बागडोर संभाली तब इस समिति का गठन किया गया।
युवा कांग्रेस और एनएसयूआई पार्टी की प्रथा की तरह नामांकन संस्कृति अपनाती रही हैं। यहां तक कि कांग्रेस कार्य समिति के चुनाव भी कभी कभार हुए हैं। पिछली बार 1997 में कोलकाता में पूर्ण अधिवेशन के दौरान समिति के चुनाव हुए हैं।
राहुल के साथ पंजाब के हाल के दौरे में उनके साथ रहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता मार्गरेट अल्वा भी इस बात से प्रभावित हुई कि कैसे युवा नेता युवाओं में उत्साह भर रहे हैं। मिर्धा ने इन आशंकाओं को खारिज किया कि संगठनात्मक चुनाव कराने से पार्टी पर नियंत्रण के लिए धन बल की नौबत आ सकती है।
उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने सही सदस्यता सुनिश्चित करने के लिए गंभीर प्रयास किए लेकिन हमने उसे नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि अगर संगठनात्मक चुनाव हुए तो जवाबदेही का प्रश्न खुद हल हो जाएगा और इस समय कोई भी नामित पदाधिकारी वैधता का दावा नहीं कर सकता क्योंकि वे उचित चुनाव के माध्यम से नहीं आए।
मिर्धा ने कहा कि संगठनात्मक चुनाव कराना केवल कांग्रेस तक सीमित नहीं है बल्कि सभी दल अलोकतांत्रिक ढंग से काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा चुनाव आयोग में 800 दल पंजीकृत हैं। आयोग के पास उन्हें अमान्य करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि दलों को समुचित रूप से संगठित होना चाहिए और उस कानून के तहत पंजीकृत होना चाहिए जो उनसे नियमित और खुला चुनाव कराने की उम्मीद रखता है।
साभार - याहू जागरण
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