कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को राजनीति में अभी 'बाबा' कहा जाता है। उनके कुछ बयानों के बाद विपक्ष ने उन्हें 'बाबा' यानी राजनीतिक रूप से बच्चा साबित करने की कोशिश की। मगर इस बाबा की नजर 'बाबा साहेब' यानी भीमराव अंबेडकर की उस विरासत पर है, जिस पर फिलहाल बसपा सुप्रीमो मायावती का राज है।
कांग्रेस के पुराने दलित वोट बैंक को फिर से हासिल करने के लिए हर जतन कर रहे राहुल बाबा ने अब एक और पत्ता फेंका है। राहुल के कहने के बाद युवा कांग्रेस ने अपना सदस्यता शुल्क 15 रुपये से घटाकर 5 रुपये कर दिया है। दरअसल, दलितों के घर खाना खाने से लेकर उनकी झोपड़ियों में रात बिताने और उनकी मदद करने जैसे कदमों से भी जब कांग्रेस सदस्यता के लिए दलित आगे नहीं आए तो राहुल ने अपने सहयोगियों से इस पर चर्चा की।
इस पर कुछ लोगों की सलाह थी कि जिस वर्ग को वह जोड़ना चाहते हैं, उसके लिए यह 15 रुपये की रकम भी बहुत है। इसीलिए, राहुल ने युवा कांग्रेस के सदस्यता शुल्क को 15 के बजाय पांच रुपये करवा दिया। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस महासचिव ने युवा कांग्रेस को अगला लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा दलित कार्यकर्ताओं को जोड़ने का दिया है। पहले वह इसके लिए कम से कम कोई संख्या तय करना चाहते थे, लेकिन सलाहकारों के कहने पर कोई संख्या नहीं तय की गई है।
राहुल गांधी की कोर टीम के एक सदस्य के मुताबिक, 'अब आने वाले समय में दलितों में से युवाओं को सदस्य बनाने का अभियान तेजी से शुरू किया जाएगा। इतना ही नहीं, पहले विधानसभा चुनाव और फिर बाद में लोकसभा चुनाव में टिकटों के चयन में भी दलित समीकरण को विशेष तरजीह दी जाएगी।' सूत्रों का कहना है कि ज्यादा से ज्यादा दलितों को सदस्य बनाने के लिए खासतौर से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को चुना गया है। इस पूरे अभियान की सीधी निगरानी खुद राहुल गांधी करेंगे।
निर्देश दिए गए हैं कि युवा कांग्रेस में जो नए दलित सदस्य बनाए जा रहे हैं, उनका पूरा ब्यौरा होना चाहिए, ताकि कोई फर्जीवाड़ा न हो सके। दलितों और आम आदमी के बीच धीरे-धीरे अपनी पैठ बनाने की जुगत में 'बाबा' के कार्यक्रम में आने वाले दिनों में और तेजी आने वाली है। खासतौर से युवाओं को ज्यादा सक्रिय करने के लिए राहुल अगले कुछ कदम उठाएंगे। राजस्थान के दौरे में राहुल ने खुद श्रमदान [फावड़ा चलाया] कर इसी संदेश को आगे बढ़ाने की कोशिश की है।
साभार - याहू जागरण
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